जिनके प्राणभंवर ईवीएममध्ये बसै, उनन से काहे को बदलाव की आस कीजै?
दो दलीय अमेरिका परस्त कारपोरेट बंदोबस्त अस्मिताओं का महाश्मशान!
पलाश विश्वास
सुधा राजे ने लिखा है
तुम्हें ज़िंदग़ी बदलने के लिये पूँजी जमीन
और कर्मचारी चाहिये
मुझे समाज बदलने के लिये केवल अपने पर
हमले से सुरक्षा और हर दिन मेरे हिस्से
मेरा अपना कुछ समय और उस समय को मेरी अपनी मरज़ी से खर्
No comments:
Post a Comment