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Saturday 2 February 2013

आज़ाद करो … कॉमरेड डेविड रवेलो क्रेस्पो को


आज़ाद करो … कॉमरेड डेविड रवेलो क्रेस्पो को



शमशाद इलाही शम्स
 दक्षिण अमेरिकी देश कोलंबिया के कम्युनिस्ट नेता और मानवाधिकार कर्मी डेविड रवेलो क्रेस्पा को राष्ट्रपति जुआन मैनुअल सैंटोस की सरकार ने 14 सितम्बर 2010 से गिरफ्तार कर जेल में डाल रखा है। आनन् फानन में उन पर चलाये गए मुकदमे में हत्या के लिए उकसाने के अपराध लगा कर गत वर्ष उन्हें 18 वर्षो की सजा भी सुनाई जा चुकी है।इस मुकदमे में जिन दो लोगों को सरकारी गवाह बनाया गया वह अर्धसैन्य बल के सदस्य हैं जिनके अत्याचारों को खुद रवेलो ने उजागर किया था और वे जेल गए थे। प्रमुख गवाह मारियो जेम्स मेजिया को इस गवाही के बाद उसकी ४० वर्षो की सश्रम कारावास की सजा को घटा कर मात्र ८ वर्ष कर दिया गया है। सरकार ने इन मुकदमे के दौरान रेवेलो की तरफ से 30 तैयार गवाहों को कोर्ट में पेश ही नहीं होने दिया। जाहिर है सैंटोस सरकार डेविड रवेलो से मुक्ति पाना चाहती थी जिसके लिए उसने फर्जी मुकदमे का सहारा लेकर उन्हें जेल भेज दिया।
कोलंबिया में राजनीतिक दमन सबसे हिंसक है, आतंकवाद से लड़ने के नाम पर अनगिनत लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजना यहाँ एक साधारण घटना है। मौजूदा राष्ट्रपति के कार्यकाल में कैदियों की सख्यां में 30 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गयी है। यहाँ राजनैतिक कैदियों की संख्या 10 हजार से भी अधिक है। जेलों की स्थिति भयावह है जिसमे पीने के साफ़ पानी सहित, दवाईयाँ, बेहतर भोजन, सेनेटरी, रखरखाव आदि तक का अभाव है।
साढ़े चार करोड़ की आबादी वाले देश में प्राकृतिक संपदा प्रचुर मात्रा में है। तेल, कोयला, निकल, एमेरेल्ड जैसे खनिजों की खदानें यहाँ निजी क्षेत्र में भारी मुनाफ़ा कमाती हैं। स्थानीय लोगों की जमीन हथियाना यहाँ एक बड़ी समस्या बन चुका है जिससे करीब पचास लाख लोग बेघर हो चुके हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में गरीबी 60 प्रतिशत से अधिक है जिनके 30 प्रतिशत से अधिक बच्चे भयंकर कुपोषण के शिकार हैं। जाहिर है इस समस्याओं पर आवाज उठाने का संघर्ष भी बहुत पुराना है। सरकारें और बड़े औद्योगिक घरानों के विरुद्ध क्रांतिकारी मुक्ति सेना कोलंबिया जिसे फार्क नाम से जाना जाता है। फार्क का सशस्त्र संघर्ष चार दशकों से भी पुराना है। मौजूदा सरकार अपनी पूर्ववर्ती सरकारों की भांति अमेरिका की सहायता से इस आन्दोलन
शमशाद इलाही "शम्स" यूं तो किसी परिचय के मोहताज नहीं हैं। उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले के छोटे से कस्बे 'मवाना' में पैदा हुए 'शम्स' ने मेरठ कालिज मेरठ से दर्शनशास्त्र विषय में स्नातकोत्तर किया है। पी०एच०डी० के लिये पंजीकरण तो हुआ पर किन्ही कारणवश पूरी न हो सकी। उनका परिवार भारतीय गंगा-जमुनी सँस्कृति का साक्षात जीवंत उदाहरण है। छात्र जीवन से ही वाम विचारधारा से जुड़े तो यह सिलसिला आगे बढ़ता ही गया।
को कुचलने के लिए जी तोड़ कोशिशे करने के बाद भी उसे परास्त नहीं कर सकी। दुनिया के सबसे पुराने गुरिल्ला युद्ध को अमेरिका सहित कोलंबिया सरकार ने आतंकवादी घोषित किया है। इन पर काबू  पाने के लिए अमेरिका ने हाल में आठ अरब डालर की सैन्य सहायता दी है ताकि सरकार अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाए और अधिक हथियार खरीदे। जिस देश को भोजन, दवा और आवासीय सुविधाओं की आवश्यकता हो उसे अमेरिका अत्याधुनिक जासूसी के उपकरणों के साथ हथियार बेच रहा है। दुनिया भर में मानवाधिकार और जनतंत्र का ढोल पीटने वाला अमेरिका, कोलंबिया जैसे छोटे से देश में सात वायु सेना अड्डों पर नियंत्रण रखता है अमेरिकी कम्पनियां बड़े बड़े भू भागों पर कब्ज़े कर के औद्योगिक पैमाने पर खेती कर के केले पैदा कर रही हैं जिसे अमेरिकी अवाम खाता है।
2009 के अध्ययन के अनुसार कोलंबिया असमान आय के क्षेत्र में दक्षिणी अमेरिकी देशो में सर्वोच्च स्थान पर था। उपरोक्त राजनैतिक आर्थिक और सामाजिक अंतर्विरोधों के चलते देश की अमेरिका  परस्त सरकारों ने जो व्यापक दमन चक्र चलाया जिसके चलते 10000 से अधिक लोग अभी तक गायब हुए हैं अथवा मार दिए गए हैं। डेविड रवेलो ने पिछले 35 सालों में इन्ही मानवाधिकार उल्लंघनो के विरुद्ध लगातार संघर्ष किया है जिसके चलते उनकी ख्याति न केवल लातिन अमेरिका में बल्कि उत्तरी अमेरिका, यूरोप तक पहुँची है। यूरोप और अमेरिकी मानवाधिकारों एंव सयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार संघ जैसे संगठनो ने डेविड रवेलो की रिहाई के लिए मांग की है। उत्तरी अमेरिका से नौ सदस्यों के एक दल ने कोलंबिया जाकर उनके परिवार के सदस्यों से भेंट की है जिन्हें लगातार जान से मारने की धमकियां मिल रही हैं। इसके अतिरिक्त दुनिया भर की कम्युनिस्ट पार्टियां उनकी रिहाई के लिए मांग कर रही हैं। इस सन्दर्भ में आप भी अपना विरोध शीघ्र दर्ज करायें, इस लिंक पर जाकर अपना प्रतिवेदन कोलंबिया के अटोर्नी जनरल को भेज सकते है :-


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