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Tuesday, 3 May 2016

मुसलमानों के वोट से बनेगा जनादेश

मुसलमानों के वोट से बनेगा जनादेश

बम से चार मरे तो छह साल की मासूम बच्ची ईशानी को हवा में उछाल दिया भूतों ने और उसे चोटें भी खूब आयी है।

इस लोकतंत्र में वोटर कितने आजाद हैं,बंगाल के नतीजे बतायेंगे,बाकी हिंसा का सिलसिला जारी

आतंक का यह रसायन अंतिम चरण में भी काम करेगा कि देखो,बिगड़ैल जनता से सत्ता कैसे निबटती है।

केंद्रीय बलों और चुनाव आयोग की वाम कांग्रेस भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप तो वे शुरु से लगाती रही हैं,अब आखिरी चरण के लिए अपनी चुनाव सभाओं में अपनी ही पुलिस पर वे खूब बरस रही हैं और खुलेआम कह रही हैं कि उनकी पुलिस बिगड़ गयी है और चुनाव जीतने के बाद वे बिगड़ैल पुलिस का इलाज करेंगी।जिन कल्बों को पिछले पांच साल के दौरान राज्यकर्मचारियों का वेतर रोककर खैरात बांटे गये,वे भी उनके हक में वोट नहीं करा सकें हैं,यह शिकायत करके मुख्यमंत्री खुलेआम कह रही हैं कि चुनाव जीत लेने के बाद सबकी खबर लेंगी वे।

यह तो बाद की बात है।फिलहाल जहां वोट पड़ चुके हैं ,वहां विपक्षी एजंटों,नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा वोटरों को भी सबक खूब पढ़ाया जा रहा है।हाथ पांव तोड़े जा रहे हैं।आगजनी बमबाजी वगैरह वगैरह जारी हैं।जिन बमों का इस्तेमाल बूथों पर हो नहीं पाया है,वे भी जहां तहां फटने लगे हैं।नतीजे आने के बाद बाकी हिसाब बराबर होगा,जाहिर है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

आखिर इस चुनाव में भी मुसलमानों के वोट से जनादेश बन रहा है बंगाल में।35 साल तक इस अटूट वोट बैंक के सहारे बंगाल में वामशासन जारी रहा है और औचक नंदीग्राम,सिंगुर जैसे तमाम मुस्लिम बहुल इलाकों के गरीब किसानों की जमीन पर अंधाधुंध शहरीकरण और औद्योगीकरण की आंधी से वह वोट बैंक दीदी के खाते में स्थानांतरित हो गया है।संघ परिवार की हर चंद कोशिश से वह वोटबैंक केसरिया सुनामी के मुकाबले किसके साथ है या सिरे से पलट गया है,कहना मुश्किल है।

हिंदू राष्ट्र में लोकतंत्र,कानून का राज और संविधान का कुल पर्यावरण यह है कि जैसे हिमालय में दावानल है और उसकी आंच मैदानों तक कहीं पहुंचती ही नहीं है।

आतंक का रसायन जिनके लिए हैं,उनके अलावा बाकी लोगों को अहसास भी नहीं है कि कितीन स्वतंत्रता ,कितनी सहिष्णुता और कितनी बहुलता हमारी सांस्कृतिक विरासत की अभी बची खुची सही सलामत है।

इस मर्ज का क्या कहिए कि अब भी हर चुनाव में बूथों की रक्षा करने के लिए सरहद पर दुश्मनों का मुकाबले तैनात रहनेवालों को लोकतंत्र उत्सव में जनादेश की पहरेदारी के लिए तलब किया जाता है और उनकी मौजूदगी में भी वोटर समीकरण में राजनीति कम अपनी जान माल की सलामती का सबसे ज्यादा ख्याल करता है।

हिंदुत्व का एजंडा इस कदर सर चढ़कर बोल रहा है कि देश में कहीं भी चुनाव हो मुसलमानों का सरदर्द यही होता है कि किसे वोट दें तो उनकी जान और माल सही सलामत रहनेवाली है।

बंगाल के मुसलमानों ने इस पहेली को कैसे सुलझाया है,इस पर बंगाल का जनादेश निर्भर है।संघ परिवार की नकली सुनामी से डर कर भाजपा को हराने के लिए उनने किसे वोट डाला है,यह तय करने वाला है जनादेश।

बहरहाल धर्मोन्मादी इस ध्रूवीकरण से फिलहाल फायदा दीदी को नजर आ रहा है।इसका फौरी नतीजा यह हो सकता है कि दीदी की सत्ता में वापसी के साथ बिहार फार्मूले पर विपक्ष की हैरतअंगेज गोलबंदी से निबटकर बेहतर हालत में यूपी का चुनाव लड़ सकती है भाजपा,बाकी कहीं के नतीजे कुछ भी हो,फर्क पड़ता नहीं है।

बहरहाल बंगाल में आखिरी चरण के लिए मतदान 5 मई को निबट जायेगा और फिर 19 मई तक लंबा इंतजार।जंगल महल के बाद चुनावों में फर्जी मतदान की शिकायतें बेहद कम रही तो कमसकम मतदान के दौरान हिंसा छिटपुट ही रही।

आगजनी बमबाजी वगैरह वगैरह जारी हैं।जिन बमों का इस्तेमाल बूथों पर हो नहीं पाया है,वे भी जहां तहां फटने लगे हैं।नतीजे आने के बाद बाकी हिसाब बराबर होगा,जाहिर है।

मसलन मालदा जिले के जौनपुर में एक मकान में कथित रूप से बम बनाते वक्त रविवार देर रात विस्फोट होने से चार लोगों की मौत हो गई। जबकि छह लोग घायल हो गए। गौरतलब है कि यह घटना ऐसे समय पर हुई है जब पांच मई को राज्य में आखिरी चरण के चुनाव होने हैं।पुलिस अधीक्षक सैयद वकार रजा ने बताया कि यह घटना उस समय हुई जब बांग्लादेश की सीमा से सटे इलाके में देर रात करीब एक बजे गियासु शेख के मकान में बम बनाए जा रहे थे। उन्होंने बताया कि इस घटना में स्थानीय गुंडे शामिल थे। गियासु फरार है। जिले में 17 अप्रैल को चुनाव हुआ था। यह मकान तृणमूल नेता का बताया जा रहा है।तृणमूल का इंकार।

इसकी उलट खबर यह है कि धमाके की गूंज सुनाई दी है और मालदा में तृणमूल कांग्रेस के एक पंचायत प्रधान समेत चार लोगों की बम से उड़कार हत्या कर दी गई है। हत्या के लिए कथित कांग्रेस समर्थकों को आरोपी बताया जा रहा है।

घटना मालदा के बैष्णबनगर की है। तृणमूल का आरोप है  कि चुनाव में कांग्रेस को वोट नहीं देने के कारण इस वारदात को अंजाम दिया गया।

बहरहाल पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, वहीं मालदा जिला कांग्रेस के महासचिव नरेंद्रनाथ तिवारी ने इस ओर आरोपों को खारिज किया है। उनका कहना है कि यह कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश है।

इस सिलसिले में  पुलिसका बयान गौरतलब है, ''एक घर में हुए एक विस्फोट में चार लोगों की मौत हो गई और चार अन्य लोग घायल हो गए। प्रारंभिक रिपोर्टों के अनुसार, घर में देसी बम रखे हुए थे, जिनमें विस्फोट हो गया।'' घायलों को मालदा मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में भर्ती कराया गया है।

केंद्रीय वाहिनी और चुनाव आयोग की इस सिलसिले में तारीफ करनी ही होगी कि भूतों के नाच पर अंकुश तो लगा ही जनादेश लूटने के दहशतगर्द इंतजामात को भी अंजाम तक पहुंचने नहीं दिया।कहा जा रहा है कि इतना शांतिपूर्ण मतदान दशकों में नहीं हुआ है।यही फौरी अमन चैन दीदी के सरदर्द का सबब है।

पिछले चुनाव के चुपचाप फूल छाप की यादे ताजा हैं और 2011 में यादवपुर से तत्रकालीन मुख्यमंत्री की हार का अनुभव भी धूमिल हुआ नहीं है।बिगड़ैल जनता का कोई अचूक इलाज किसी की मझ से बाहर है।तब भी समझा जा रहा था कि वाम जनाधार अटूट तो मुसलमानों का वोटबैंक जस का तस।

सभाओं में तब भी भारी भीड़ थी वाम समर्थन में और तब बूथों पर वाम वर्चस्व ही दीख रहा था।जनता ने चुपचाप परिवर्तन कर दिया और सत्ता के लिए उस परिवर्तन की याद से बचने के लिए बेलगाम हिंसा ही सबसे बढ़िया जवाब सूझ रहा है।हिंसा थम नहीं रही है।

हालीशहर में तीन साल की जख्मी बच्ची की तस्वीर अभी हटी नहीं है कहीं से तो कैनिंग में पोस्चर को पतंग बना देने की सजा भी याद है तो अब दीदी के खास तालुक दक्षिण कोलकाता के हरिदेवपुर में एक मासूम पर फिर हमला हो गया।जहां से कार्टून शेयर करने वाले यादवपुर विश्वविद्यालय के निर्दलीय प्रोफेसर अंबिकेश वाम कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी हैं।

छह साल की मासूम बच्ची ईशानी को हवा में उचाल दिया भूतों ने और उसे चोटें भी खूब आयी है।

आरोप है कि रविवार की शाम से लगभग पूरे  दक्षिण कोलकाता में कस्बा,बाघा जतीन,पेयाराबागान,गांगुलीबागान,वैष्णवघाटा,पाचुली वगैरह वगरह स्थानों पर फर्जी मतदान में नाकाम भूतों की बाइक वाहिनी हंगामा बरपा रही है।

करीब सौ बाइक के साथ उनका अश्वमेध जारी है और पुलिस की मौजूदगी में ही विपक्षी समर्थकों,कार्यकर्ताओं और आम वोटरों पर हमले हो रहे हैं।ये हमले टीवी पर लाइव है।तो आतंक का यह रसायन अंतिम चरण में भी काम करेगा कि देखो,बिगड़ैल जनता से सत्ता कैसे निबटती है।

जाहिर है कि सत्ता दल और सरकार तमाम लाइव खबरों का खंडन करने में लगी है।

इसी सिलसिले में हरिदेवपुर के पेयाराबागान के एक समर्थक की छह साल की बच्ची ईशानी पात्र को भी लोकतंत्र का सबक सिखाया गया है।उसका जुर्म इतना है कि उसकी चाची स्मिता पात्र बालिगंज विधानसभा क्षेत्र में मंत्री सुब्रत मुखर्जी के खिलाफ कांग्रेस प्रत्याशी कृष्णा देवनाथ की पोलिंग एजंट रही हैं।

बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी अमन चैन बहाली के साथ हुए इस चुनाव से खुश नहीं हैं।

केंद्रीय बलों और चुनाव आयोग की वाम कांग्रेस भाजपा के साथ मिलीभगत का आरोप तो वे शुरु से लगाती रही हैं,अब आखिरी चरण के लिए अपनी चुनाव सभाओं में अपनी ही पुलिस पर वे खूब बरस रही हैं और खुलेआम कह रही हैं कि उनकी पुलिस बिगड़ गयी है और चुनाव जीतने के बाद वे बिगड़ैल पुलिस का इलाज करेंगी।

जिन कलबों  को पिछले पांच साल के दौरान राज्य कर्मचारियों का वेतन रोककर खैरात बांटे गये,वे भी उनके हक में वोट नहीं करा सकें हैं,यह शिकायत करके मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुलेआम कह रही हैं कि चुनाव जीत लेने के बाद सबकी खबर लेंगी वे।

हालांकि  ममता बनर्जी ने सोमवार को भरोसा जताया कि उनकी पार्टी ''बहुमत'' का आंकड़ा हासिल कर चुकी है। फिरभी उन्होंने राज्य में तैनात केन्द्रीय बलों पर मतदाताओं से ''दुर्व्यवहार'' करने का आरोप लगाया।

दीदी कैसे इंच इंच का हिसाब बराबर कर देंगी ,यह तो बाद की बात है।फिलहाल जहां वोट पड़ चुके हैं ,वहां विपक्षी एजंटों,नेताओं और कार्यकर्ताओं के अलावा वोटरों को भी सबक खूब पढ़ाया जा रहा है।हाथ पांव तोड़े जा रहे हैं।



Monday, 18 April 2016

दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है!

दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है!

बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया,हारकर चुनाव आयोग ने दर्ज किया एफआईआर!

फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या!

संघ परिवार के हमले तेज और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा नहीं!

भाजपा ने बीरभूम की नौ सीटों पर दोबारा मतदान की मांग की तो विमान बोस ने आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया!

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

दीदी बीरभूम जीतने चली थी और नौबत बंगाल हार जाने की है।

उत्तर बंगाल में बीरभूम के विपरीत धूमधड़ाके से उनके किलाफ मतदान हुआ है और उन्हें खबर भी नहीं हुई।पुलिस और प्रशासन की वफादारी भी अब टल्लीदार है और आम जनता के साथ साथ एक धमाके की शुरुआत वहां भीतर ही भीतर हो गयी है।

पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में छिटपुट हिंसा की खबरों के बीच 56 विधानसभा क्षेत्रों के लिए आज बंपर वोटिंग हुई। शाम छह बजे तक तकरीबन 80 फीसदी वोट पड़ चुके थे जबकि कुछ केंद्रों पर छह बजे के बाद भी वोटिंग जारी रही।येआंकडे बदल सकते हैं।

नई दिल्ली में भाजपा ने बीरभूम में नौ सीटों रपर दोबारा चुनाव की मांग की है,यह रपट हस्तक्षेप पर लगे गयी है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी न दीदी पर सत्ता के लिए सरकार के गलत इस्तेमाल का गंभीर आरोप लगाया।

वाममोर्चा चेयरमैन विमान बोस ने बेलगाम अनुब्रत की हैरतअंगेज कामयाबी के बाद आयोग पर नाटक करने का आरोप लगाया।हालांकि  पूर्व केन्द्रीय मंत्री व वरिष्ठ कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने रविवार यहां कहा कि 2016 में बंगाल में सत्ता परिवर्तन होगा और 2019 में देश वही परिर्वतन देखेगा।फिर रमेश ने दावा किया, 'पश्चिम बंगाल में चुनाव आयोग के अधिकारियों का झुकाव सत्तारूढ़ पार्टी की ओर है। वे स्वतंत्र रूप से काम नहीं कर रहे हैं, बल्कि ममता बनर्जी के इशारे पर काम कर रहे हैं।'

यही नहीं,भारतीय जनता पार्टी ने पश्चिम बंगाल के मुख्य निर्वाचन अधिकारी पर 'तृणमूल कांग्रेस को चुनावी कानूनों का उल्लंघन करने देने' का आरोप लगाते हुए रविवार को चुनाव आयोग से उन्हें हटाने की मांग की है।

कृष्णनगर में उनकी सभी में बहती हुई लू में जो भीड़ दिखी और चैसे चुन चुनकर तरकश से तीर निकालकर दीदी को बिंधा मोदी ने,दीदी को अब समझ में आ जानी चाहिए कि संघ परिवार से गुपचुप गठबंधन की वजह से सत्ता में उनकी वापसी कितनी मुश्किल है।संघ परिवार के  तेवर बदल गये और इस तेवर की झलकियां अभिनेत्री लाकेट चटर्जी की दबंगई के वीडियो से अबतक पूरे देश को दीख गयी होंगी।

मतलब साफ है कि बार बार राज्यों में हारते हुए क्षत्रपों की मनमनी के भरोसे राजकाज चलाने के लिए संघ परिवार तैयार नहीं है और खासपर जिसतरह बंगाल में संघी पिटे हैं और घिरे हैं,उसके मद्देनजर दीदी की खिदमत करते रहने का नतीजा दिल्ली की सत्ता खोने की नौबत में भी बदल सकता है।

बहरहाल बीरभूम में असमय दुर्गापूजा का माहौल रहा और ढाक के बोल पर भूतों का नाच भी जलवा बहार हो गया।सुबह से ही गुड़ जल बताशे के जादू से खलबली मची हुई थी और चुनाव आयोग के दरबार में त्राहिमाम त्राहिमाम गुहार लगती रही।

अभूतपूर्व नजरबंदी,वीडियोग्राफी और मजिस्ट्रेट के साथ केंद्रीय बल और मीडिया को धता बताकर बोतल से निकले जिन्न की तरह अनुब्रत का जादू चल गया और उनने पलटकर कहा,चुनाव आयोग की क्याऔकात कि वह अनुब्रत मंडल को रोक दें।दिल्ली और कोलकाता में मची खलबली से साफ जाहिर है कि कितना महाबलि है दीदी का यह बाहुबलि।

खिंसियानी बिल्ली के खंभा नोंचने की तर्ज पर शामतक चुनाव आयोग ने हारकर सरकारी आदेशों का उलंघन करने के आरोप में महाबलि अनुब्रत मंडल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करा दिया।अब इससे कोई मसला हल नहीं होगा,अनुब्रत गिरप्तार हो जाये तो भी बीरभू में हुए मतदान को पलटा जा नहीं सकता बशर्ते कि दोबारा मतदान का आदेश जारी न हो।बहरहला संघ परिवार की शिकायतों का संज्ञान लेकर बहुत संभव है कि बीरभीम में कुछ क्षेत्रों में दोबारा मतदान हो जाये।कुल मिलाकर यह लोकतंत्र के लिए शर्म जितनी है ,उससे ज्यादा संवैधानिक संस्था बतौर चुनाव आयोग के सिरे से फेल हो जाने का सबूतउससे कहीं ज्यादा है।

फिरभी दीदी की नैय्या मंझधार में,हराये गये खेवय्या।संघ परिवार की गुपचुप मदद के बिना दीदी के लिए सत्ता में वापसी मुश्किल है,यह बात शुरु से साफ रही है।शारदा और नारदा के घनचक्कर में दीदी बीच में अपनी रणनीति में ही कनफ्यूजा गयी और भिड़ गयी संघ परिवार से तो संघ परिवार भी उन्हें बख्शने के मूड में नहीं है।

जाहिर है कि संघ परिवार के हमले तेज से तेज से तेज हो रहे हैं और मुसलिम वोट बैंक का भी भरोसा अब  नहीं है।दीदी भूतों के दम पर जंगल महल के पचासेक सीटें जीत लेने की  खुशफहमी विपक्षा को वैनिश कर देने के फिराक में थी और अनुब्रत के सहारे उनने बंगाल जीत लेने की ठान ली और ओवर कांफिडेंस में जमीनी  हलचल को सिरे से नजरअंदाज कर दिया।

वाम कांग्रेस गठबंधन नुक्ताचीनी से कमजोर होने के बजाय मजबूत होता गया।समर्थन का समीकरण नजदीकी हो गया और आम जनता को भी तदनुसार संदेश गया लेकिन दीदी को ख्याल ही नहीं रहा कि शारदा से भयंकर मामला नरदा है,जिसे मोदी फोकस किये हुए हैं।रोजगार की समस्या भयावह है और विकास का छलावा साफ है,जिसे धुआंधार विज्ञापनों से सही साबित नहीं किया जा सकता।

खास कोलकाता में भी दीदी के पांवों तले मिट्टी खिसकने लगी क्योंकि उसकी निर्माण समाग्री और तकनीक मे वही प्रोमोटर बिल्डर राज है।सही नेतृत्व के विकास के बजायतानाशही रवैया और चमचों के हवाले राजकाज और बिल्डर माफिया सिंडिकेट के दुश्चक्र में  उनने अपनी लड़ाकू और ईमानदार छवि को ही मैली कर दी औय ये बातें उनके खिलाप अचूक रामवाण साबित हो रहे हैं।

बहरहाल उत्तर बंगाल के छह जिले की 45 व वीरभूम जिले की 11 विधानसभा सीटों पर छिटपुट घटनाओं के बीच शाम पांच बजे तक 79.70 फीसद मतदान हुआ। पांच बजे तक 77.33 फीसद मतदान हुआ था। एक बजे तक 56 फीसद मतदान हुआ था। 11 बजे तक 39.19 प्रतिशत मतदान हुआ था। शुरू के दो घंटे में 21.54 प्रतिशत वोट पड़े थे।

दोपहर एक बजे तक अलीपुर दूआर में 45.56 प्रतिशत, जलपाईगुड़ी में 59.98 प्रतिशत, दार्जिलिंग में 53.03 प्रतिशत, उत्तर दिनाजपुर में 55.50 प्रतिशत, दक्षिण दिनाजपुर में 56.09 प्रतिशत, मालदा में 54.33 प्रतिशत और सर्वाधिक वीरभूम में 62.49 प्रतिशत मतदान हुआ |

Monday, 11 April 2016

भूतों का नाच काफी नहीं,जीत के लिए जनता की अदालत में दीदी,मान भी लिय़ा कि घूसखोरी हुई है और जांच का वादा भी कर दिया!

भूतों का नाच काफी नहीं,जीत के लिए जनता की अदालत में दीदी,मान भी लिय़ा कि घूसखोरी हुई है और जांच का वादा भी कर दिया!

भूतों का क्या है,जब तक चुनाव आयोग और केंद्र सरकार और उनकी एजंसियां मेहरबान है,बांस के जंगल में खिलेंगे फूल वरना हालात खराब इतने हैं कि साफ हो जायेगा तृणमूल!

बाहर वालों को घर आंगन साफ सुफरा करने के लिए झाड़ु हाथ में अवतरित हैं और बाजार में खड़ा होकर हांक लगा रही हैं कि घूसखोरी तो हुई है क्योंकि घूस दी गयी है।लेकिन तृणमूल किसी को बख्शेगी नहीं।

केंद्र सरकार भले जांच न करायें,यह उसकी राजनीति है।दीदी अपने ही मंत्रियों,सांसदों और मेयरों की जांच कराने लगी है।नारद स्टिंग को सच मानकर अब तृणमूल तृणमूल की जांच करा रही है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

क्योंकि हवाएं बदल गयी है।अब भूतों के नाच का भी कुछ ज्यादा भरोसा नहीं है।माकपा नेतृत्व के रवैये से सांप सूंग गया है तृणमूल कांग्रेस को।अगर जंगल महल में शत फीसद वोट तृणमूल कांग्रेस को गिरे हैं,तो वाम और कांग्रेस बेचैन क्यों नहीं हैं,सत्तादल के चुनावी हिसाब किताब की सबसे बड़ी पहेली यही है कि वाम कांग्रेस गठबंधन ने जंगल महल में चुनाव रद्द करने की मांग अभी तक नहीं की है।तो क्याभूतों की वफादारी भी शक के घेरे में हैं।खासकर जंगल महल में आखिरी फैसला माओवादी करते हैं जेसे पिछले चुनावों में खुल्ला माओवादी समर्थन से दीदी सड़क से उठकर सीधे सत्ता में आ गयी।

अबकि दफा माओवादी फतवा दीदी के खिलाफ है।

सत्ता पक्ष को इसका कोई भरोसा नहीं है कि भूत किसके हक में नाच रहे हैं और भूतों का वोट किसे मिला है।

जंगल महल के पूरे 49 विधानसभा क्षेत्रों में शत फीसद वोट भूत भी डालें तो भी दीदी की जीत तय नहीं है क्योंकि अबकी दफा माओवादी दीदी को हराने की कसम खाये बैठे हैं।

इसी वजह खासे बेकायदे में  दीदी जैसी जिद्दी शख्सियत ने कहने को तो प्रधानमंत्री तक को अपनी औकात बता देने में कोताही नहीं की संघ परिवार के साथ नूरा कुश्ती के मैदान में अपने जिहादी तेवर के तहत।लेकिन तेवर उनके ढीले पड़ रहे हैं।

देश देख रहा है तमाशा और केंद्र सरकार और केंद्रीय एजंसियां घूसखोरी के रोज रोज के कुलासे के बावजूद खामोश है क्योंकि दीदी को कटघरे में खड़ा करने या दीदी को पाक साफ साबित करने में उसकी दिलचस्पी नहीं है।

धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण से बंगाल में कोई फायदा नहीं है,सिर्फ इसलिए जुबानी गोलीबारी के तहत भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दीदी पह हमला करते हुए बंगाल में अपने उम्मीदवारों की जमानत बचाने की कवायद कर रहा है संघ परिवार।

“नारद स्टिंग ऑपरेशन वीडियो में अपने कुछ नेताओं के कथित रूप से रिश्वत लेते हुए दिखने के करीब एक महीने बाद तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस, माकपा और भाजपा पर पार्टी को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को मामले की आतंरिक जांच कराने की घोषणा की। पार्टी ने दावा किया कि अगर पार्टी का कोई सदस्य दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।”

केंद्र जांच कराये या न करायें,दीदी की साख दांव पर है।उनकी साड़ी की नफासत उनकी हवाई चप्पल की सादगी से बेमेल है और उनकी तस्वीर में ईमानदारी पर धब्बे बहुत मुखर ।

भूतों का क्या है,जब तक चुनाव आयोग और केंद्र सरकार और उनकी एजंसियां मेहरबान है,बांस के जंगल में खिलेंगे फूल वरना हालात खराब इतने हैं कि साफ हो जायेगा तृणमूल।

पहले पहल दीदी ने नारद के दंश को गुपचुप झेल लिया और फिर सारधा मार्का तेवर दिखाने शुरु किये।

फिर देखा कि सारा का सारा मीडिया रोज रोज भंडाफोड़ करने लगा है तो दीदी ने देखा कि हमलावर तेवर से काम चलेगा नहीं तो उनने सफाई देने की कोशिश की कि घूस जो दे रहे हैं,उनका अपराध भारी है।

जमीन की हलचलों से फिजां ही बदल जाने की खुफिया जानकारी मिलने लगी तो दीदी ने वोटरों से माफी मांगना शुरु किया।

अब गुपचुप गठबंधन के तहत चुनाव आयोग और केंद्रीय वाहिनी के सहयोग के बावजूद दीदी की जैसी मजबूरी है कि वे खुलकर मोदी और संघ परिवार के साथ खड़ी नहीं हो सकती तो संघ परिवाार की मजबूरी है कि उसे भी बंगाल और पूर्वी भारत में अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए दीदी के किलाफ राजनीतिक विरोध की भाषा के तहत हमले जरुर करने हैं।

अब एकतरफ वाम कांग्रेस गठबंधन और दूसरी तरफ,भाजपा के तीखे हमले के सामने दीदी के लिए एक ही रास्ता खुला है कि वे हर हाल में अपनी ईमानदारी की पोटली बचा लें और जी जान से वे ऐसा ही कर रही है।इसीलिए खुद अपनी जांच कराने का यह हैरतअंगेज फैसला कितना अटपटा लगे,दीदी का यह आखिरी दांव है।

केंद्र सरकार सीबीआई जांच वगैरह करा देती तो दीदी के पास कहने को था कि देखो,सारधा मामले में कुछ भी नहीं निकला और यह मां माटी मानुष के किलाप गहरी साजिश है।

केंद्र सरकार के रवैये,केंद्रीय एजंसियों की नौटंकी और चुनाव आयोग की मेहरबानी और तमाशबीन केंद्रीय वाहिनी ने दीदी की ईमानदारी और साख के लिए गहरा संकट खड़ा कर दिया है।

बाहर वालों को घर आंगन साफ सुफरा करने के लिए झाड़ु हाथ में अवतरित हैं और बाजार में खड़ा होकर हांक लगा रही हैं कि घूसखोरी तो हुई है क्योंकि घूस दी गयी है।लेकिन तृणमूल किसी को बख्शेगी नहीं।

केंद्र सरकार भले जांच न करायें,यह उसकी राजनीति है।दीदी अपने ही मंत्रियों,सांसदों और मेयरों की जांच कराने लगी है।

नारद स्टिंग को सच मानकर अब तृणमूल तृणमूल की जांच करा रही है।

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा, पार्टी इस स्टिंग ऑपरेशन की आतंरिक जांच कराएगी।

यह बचाव का आखिरी रास्ता है क्योंकि हवाएं बदल गयी है।अब बूतों के नाच का भी कुछज्यादा भरोसा नहीं है।

जाहिर है कि केंद्र सरकार के भरोसे न रहकर और संघ परिवार की रणनीति के भरोसे बैटे न रहकर तृणमूल कांग्रेस का ऐलान है कि  यदि कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या अन्य दलों के नेताओं ने भी यह स्टिंग ऑपरेशन कराने में मदद की थी। जीहिर है कि रस्मअदायगी बतौर उन्होंने आरोप भी लगाया कि कांग्रेस, माकपा और भाजपा के नेता तृणमूल को बदनाम करने में लगे हैं।

गौरतलब है कि तृणमूल ने पहले उन टेपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह असली नहीं हैं और इन्हें छेडछाड़ कर बनाया गया है। उसने कहा था कि छवि खराब करने वाले इस अभियान के पीछे राजनीतिक विरोधियों का हाथ है।

अब मजा देखिये कि चटर्जी ने कहा, हमारे पास भी विपक्षी दलों के विरूद्ध कई स्टिंग हैं। लेकिन हम ऐसे गंदे खेल खेलने में यकीन नहीं करते।इतनी पाक साफ राजनीति तो भारत में कहीं हो भी नहीं रही है।

बहरहाल चटर्जी ने एक वरिष्ठ माकपा नेता पर आईवीआरसीएल में शामिल होने का आरोप लगाया, इसी कंपनी ने उस फ्लाईओवर का निर्माण कराया जो हाल ही में गिर गया।

तृणमूल की आतंरिक जांच पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा, यह लोगों का दवाब ही है कि उसने मामले की जांच करने का फैसला किया है। लेकिन वह इसकी सीबीआई जांच से क्यों भयभीत है।

तृणमूल की आतंरिक जांच पर इसी तरह  भाजपा विधायक शामिक भट्टाचार्य ने कहा कि इस मामले की आतंरिक जांच का फैसला कुछ नहीं बल्कि आंख में धूल झोंकने जैसा है।

माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने ट्वीट किया कि बनर्जी के ड्रामे और बाद के हमले सारदा घोटाले से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए किए गए थे।