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Monday 11 April 2016

भूतों का नाच काफी नहीं,जीत के लिए जनता की अदालत में दीदी,मान भी लिय़ा कि घूसखोरी हुई है और जांच का वादा भी कर दिया!

भूतों का नाच काफी नहीं,जीत के लिए जनता की अदालत में दीदी,मान भी लिय़ा कि घूसखोरी हुई है और जांच का वादा भी कर दिया!

भूतों का क्या है,जब तक चुनाव आयोग और केंद्र सरकार और उनकी एजंसियां मेहरबान है,बांस के जंगल में खिलेंगे फूल वरना हालात खराब इतने हैं कि साफ हो जायेगा तृणमूल!

बाहर वालों को घर आंगन साफ सुफरा करने के लिए झाड़ु हाथ में अवतरित हैं और बाजार में खड़ा होकर हांक लगा रही हैं कि घूसखोरी तो हुई है क्योंकि घूस दी गयी है।लेकिन तृणमूल किसी को बख्शेगी नहीं।

केंद्र सरकार भले जांच न करायें,यह उसकी राजनीति है।दीदी अपने ही मंत्रियों,सांसदों और मेयरों की जांच कराने लगी है।नारद स्टिंग को सच मानकर अब तृणमूल तृणमूल की जांच करा रही है।

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास

हस्तक्षेप

क्योंकि हवाएं बदल गयी है।अब भूतों के नाच का भी कुछ ज्यादा भरोसा नहीं है।माकपा नेतृत्व के रवैये से सांप सूंग गया है तृणमूल कांग्रेस को।अगर जंगल महल में शत फीसद वोट तृणमूल कांग्रेस को गिरे हैं,तो वाम और कांग्रेस बेचैन क्यों नहीं हैं,सत्तादल के चुनावी हिसाब किताब की सबसे बड़ी पहेली यही है कि वाम कांग्रेस गठबंधन ने जंगल महल में चुनाव रद्द करने की मांग अभी तक नहीं की है।तो क्याभूतों की वफादारी भी शक के घेरे में हैं।खासकर जंगल महल में आखिरी फैसला माओवादी करते हैं जेसे पिछले चुनावों में खुल्ला माओवादी समर्थन से दीदी सड़क से उठकर सीधे सत्ता में आ गयी।

अबकि दफा माओवादी फतवा दीदी के खिलाफ है।

सत्ता पक्ष को इसका कोई भरोसा नहीं है कि भूत किसके हक में नाच रहे हैं और भूतों का वोट किसे मिला है।

जंगल महल के पूरे 49 विधानसभा क्षेत्रों में शत फीसद वोट भूत भी डालें तो भी दीदी की जीत तय नहीं है क्योंकि अबकी दफा माओवादी दीदी को हराने की कसम खाये बैठे हैं।

इसी वजह खासे बेकायदे में  दीदी जैसी जिद्दी शख्सियत ने कहने को तो प्रधानमंत्री तक को अपनी औकात बता देने में कोताही नहीं की संघ परिवार के साथ नूरा कुश्ती के मैदान में अपने जिहादी तेवर के तहत।लेकिन तेवर उनके ढीले पड़ रहे हैं।

देश देख रहा है तमाशा और केंद्र सरकार और केंद्रीय एजंसियां घूसखोरी के रोज रोज के कुलासे के बावजूद खामोश है क्योंकि दीदी को कटघरे में खड़ा करने या दीदी को पाक साफ साबित करने में उसकी दिलचस्पी नहीं है।

धर्मोन्मादी ध्रूवीकरण से बंगाल में कोई फायदा नहीं है,सिर्फ इसलिए जुबानी गोलीबारी के तहत भ्रष्टाचार के मुद्दे पर दीदी पह हमला करते हुए बंगाल में अपने उम्मीदवारों की जमानत बचाने की कवायद कर रहा है संघ परिवार।

“नारद स्टिंग ऑपरेशन वीडियो में अपने कुछ नेताओं के कथित रूप से रिश्वत लेते हुए दिखने के करीब एक महीने बाद तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस, माकपा और भाजपा पर पार्टी को बदनाम करने का आरोप लगाते हुए शनिवार को मामले की आतंरिक जांच कराने की घोषणा की। पार्टी ने दावा किया कि अगर पार्टी का कोई सदस्य दोषी पाया गया तो कार्रवाई की जाएगी।”

केंद्र जांच कराये या न करायें,दीदी की साख दांव पर है।उनकी साड़ी की नफासत उनकी हवाई चप्पल की सादगी से बेमेल है और उनकी तस्वीर में ईमानदारी पर धब्बे बहुत मुखर ।

भूतों का क्या है,जब तक चुनाव आयोग और केंद्र सरकार और उनकी एजंसियां मेहरबान है,बांस के जंगल में खिलेंगे फूल वरना हालात खराब इतने हैं कि साफ हो जायेगा तृणमूल।

पहले पहल दीदी ने नारद के दंश को गुपचुप झेल लिया और फिर सारधा मार्का तेवर दिखाने शुरु किये।

फिर देखा कि सारा का सारा मीडिया रोज रोज भंडाफोड़ करने लगा है तो दीदी ने देखा कि हमलावर तेवर से काम चलेगा नहीं तो उनने सफाई देने की कोशिश की कि घूस जो दे रहे हैं,उनका अपराध भारी है।

जमीन की हलचलों से फिजां ही बदल जाने की खुफिया जानकारी मिलने लगी तो दीदी ने वोटरों से माफी मांगना शुरु किया।

अब गुपचुप गठबंधन के तहत चुनाव आयोग और केंद्रीय वाहिनी के सहयोग के बावजूद दीदी की जैसी मजबूरी है कि वे खुलकर मोदी और संघ परिवार के साथ खड़ी नहीं हो सकती तो संघ परिवाार की मजबूरी है कि उसे भी बंगाल और पूर्वी भारत में अपनी प्रासंगिकता बनाये रखने के लिए दीदी के किलाफ राजनीतिक विरोध की भाषा के तहत हमले जरुर करने हैं।

अब एकतरफ वाम कांग्रेस गठबंधन और दूसरी तरफ,भाजपा के तीखे हमले के सामने दीदी के लिए एक ही रास्ता खुला है कि वे हर हाल में अपनी ईमानदारी की पोटली बचा लें और जी जान से वे ऐसा ही कर रही है।इसीलिए खुद अपनी जांच कराने का यह हैरतअंगेज फैसला कितना अटपटा लगे,दीदी का यह आखिरी दांव है।

केंद्र सरकार सीबीआई जांच वगैरह करा देती तो दीदी के पास कहने को था कि देखो,सारधा मामले में कुछ भी नहीं निकला और यह मां माटी मानुष के किलाप गहरी साजिश है।

केंद्र सरकार के रवैये,केंद्रीय एजंसियों की नौटंकी और चुनाव आयोग की मेहरबानी और तमाशबीन केंद्रीय वाहिनी ने दीदी की ईमानदारी और साख के लिए गहरा संकट खड़ा कर दिया है।

बाहर वालों को घर आंगन साफ सुफरा करने के लिए झाड़ु हाथ में अवतरित हैं और बाजार में खड़ा होकर हांक लगा रही हैं कि घूसखोरी तो हुई है क्योंकि घूस दी गयी है।लेकिन तृणमूल किसी को बख्शेगी नहीं।

केंद्र सरकार भले जांच न करायें,यह उसकी राजनीति है।दीदी अपने ही मंत्रियों,सांसदों और मेयरों की जांच कराने लगी है।

नारद स्टिंग को सच मानकर अब तृणमूल तृणमूल की जांच करा रही है।

गौरतलब है कि तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा, पार्टी इस स्टिंग ऑपरेशन की आतंरिक जांच कराएगी।

यह बचाव का आखिरी रास्ता है क्योंकि हवाएं बदल गयी है।अब बूतों के नाच का भी कुछज्यादा भरोसा नहीं है।

जाहिर है कि केंद्र सरकार के भरोसे न रहकर और संघ परिवार की रणनीति के भरोसे बैटे न रहकर तृणमूल कांग्रेस का ऐलान है कि  यदि कोई दोषी पाया गया तो उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

तृणमूल कांग्रेस के महासचिव पार्थ चटर्जी ने कहा कि इस बात की भी जांच की जाएगी कि क्या अन्य दलों के नेताओं ने भी यह स्टिंग ऑपरेशन कराने में मदद की थी। जीहिर है कि रस्मअदायगी बतौर उन्होंने आरोप भी लगाया कि कांग्रेस, माकपा और भाजपा के नेता तृणमूल को बदनाम करने में लगे हैं।

गौरतलब है कि तृणमूल ने पहले उन टेपों को यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि वह असली नहीं हैं और इन्हें छेडछाड़ कर बनाया गया है। उसने कहा था कि छवि खराब करने वाले इस अभियान के पीछे राजनीतिक विरोधियों का हाथ है।

अब मजा देखिये कि चटर्जी ने कहा, हमारे पास भी विपक्षी दलों के विरूद्ध कई स्टिंग हैं। लेकिन हम ऐसे गंदे खेल खेलने में यकीन नहीं करते।इतनी पाक साफ राजनीति तो भारत में कहीं हो भी नहीं रही है।

बहरहाल चटर्जी ने एक वरिष्ठ माकपा नेता पर आईवीआरसीएल में शामिल होने का आरोप लगाया, इसी कंपनी ने उस फ्लाईओवर का निर्माण कराया जो हाल ही में गिर गया।

तृणमूल की आतंरिक जांच पर पश्चिम बंगाल कांग्रेस अध्यक्ष अधीर चौधरी ने कहा, यह लोगों का दवाब ही है कि उसने मामले की जांच करने का फैसला किया है। लेकिन वह इसकी सीबीआई जांच से क्यों भयभीत है।

तृणमूल की आतंरिक जांच पर इसी तरह  भाजपा विधायक शामिक भट्टाचार्य ने कहा कि इस मामले की आतंरिक जांच का फैसला कुछ नहीं बल्कि आंख में धूल झोंकने जैसा है।

माकपा पोलित ब्यूरो सदस्य मोहम्मद सलीम ने ट्वीट किया कि बनर्जी के ड्रामे और बाद के हमले सारदा घोटाले से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए किए गए थे।

1 comment:

  1. As reported by Stanford Medical, It's in fact the one and ONLY reason this country's women live 10 years longer and weigh on average 19 kilos less than us.

    (And actually, it is not about genetics or some secret diet and absolutely EVERYTHING related to "how" they eat.)

    P.S, I said "HOW", and not "what"...

    Tap this link to determine if this short questionnaire can help you unlock your real weight loss potential

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