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Saturday, 23 February 2013

Rihai Manch statement on UPA govt intention to divert hyderabad blast investigation



RIHAI MANCH
(Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism)
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हैदराबाद विस्फोटों में खुफिया एजेंसियों की भुमिका की भी हो जांच- रिहाई मंच
शिंदे बताएं कि हैदराबाद विस्फोट में हिन्दुत्वादी संगठन जांच के दायरे
में क्यों नहीं- रिहाई मंच
आजमगढ़ को बदनाम करने से बाज आएं खुफिया एजेंसियां- रिहाई मंच
दिल्ली स्पेशल सेल द्वारा आईबीएन 7 को इन्ट्रोगेशन रिपोर्ट लीक करने की
हो जांच- रिहाई मंच

लखनऊ/आजमगढ़ 22 फरवरी 2013/ रिहाई मंच ने हैदराबाद में हुए विस्फोटों की
जांच को गृह मंत्रालय द्वारा गलत दिशा में भटकाने का आरोप लगाते हुए कहा
है कि इस घटना में केंद्रिय खुफिया एजेंसियों की भूमिका को भी शक के
दायरे में लाया जाए। संगठन ने सरकार और खुफिया एजेंसियों को इस मामले
आजमगढ़ को बदनाम करने से बाज आने की चेतावनी दी।

रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम और राजीव यादव ने कहा कि एक तरफ तो
गृहमंत्री हैदराबाद में इस घटना के पीछे किसी भी आतंकी संगठन का नाम नहीं
लेते। लेकिन गृहमंत्रालय के अधीन काम करने वाली खुफिया एजेंसियां मीडीया
माध्यमों द्वारा घटना के पीछे इंडियन मुजाहिदीन और लश्कर जैसे तमाम नामों
को उछाल कर मुस्लिम समुदाय के खिलाफ माहौल बना रही हैं। यहां तक कि
बेगुनाह मुस्लिम नौजवानों को आतंकवाद के नाम पर कत्ल करने और फसाने के
लिए बदनाम हो चुकी दिल्ली स्पेशल सेल ने इस घटना के बाद आईबीएन 7 चैनल
(http://ibnlive.in.com/news/full-text-delhi-police-interrogation-report-on-ims-recce-of-dilsukh-nagar/374369-3.html)
को इरफान लांडजे समेत चार कथित इंडियन मुजाहिदीन के सदस्यों की
इंट्रोगेशन रिपोर्ट लीक कर दी। जिसमें यह बताने की कोशिश की गई है कि
हैदराबाद विस्फोटों के पीछे इसी कथित संगठन का हाथ है। जबकि लांडजे की
फर्जी गिरफ्तारी के मामले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल को राष्ट्रीय
मानवाधिकार आयोग तक ने नोटिस भेजा है। जाहिर है इस कहानी को जारी करने के
पीछे मकसद पूरी घटना की जांच के दायरे से हिन्दुत्वादी संगठनों जिन्होंने
इससे पहले भी हैदराबाद में दो बार विस्फोट किए हैं को बचाना है।

मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पांडे ने कहा कि
जब देश हैदराबाद धमाकों से दहला हो और सरकार आतंकवादियों से निपटने की
राजनीतिक इच्छाशक्ति इतनी कमजोर हो कि गृहमंत्री शिन्दे मालेगाव, मक्का
मस्जिद, समझौता जैसे आतंकी घटनाओं में लिप्त हिन्दुत्वादी संगठनों का नाम
लेने के बाद भाजपा और संघ के दबाव में पीछे हट जातें हों उस वक्त दिल्ली
स्पेशल सेल द्वारा कथित इंन्ट्रोगेशन रिपोर्ट को लीक करना देश को अस्थिर
करने का एक कांग्रेसी प्रयास है। ऐसे में इस इन्ट्रोगेशन रिपोर्ट को लीक
करने वाले पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करते हुए जांच करवाई
जाए कि किस के इशारे पर यह रिपोर्ट लीक की गई। क्योंकि इस रिपोर्ट लीक
कांड में पुलिस और आतंकी संगठनों का गठजोड़ सामने आ जएगा। जैसा कि
मालेगांव में हुए विस्फोटों के मामले में सुरक्षा एजेंसियों और
हिन्दुत्वादी संगठनों का गठजोड़ सामने आ चुका है।

आजमंगढ़ रिहाई मंच के संयोजक मसीहुद्दीन संजरी ने कहा कि जिस तरह से
मीडिया माध्यमों द्वारा खुफिया और सुरक्षा एजेंसियां के सूत्रों के हवाले
से हैदराबाद विस्फोटों के मामले आजमगढ़ को जोड़ा जा रहा है, उससे इस घटना
के पीछे की कांग्रेस की राजनीतिक मंशा समझी जा सकती है कि वह आजमगढ़ का
नाम लेकर इस घटना के पीछे खुफिया एजेंशियों और हिन्दुत्वादी संगठनों पर
उठने वाले सवालों को दबाना चाहती है। उन्होंने कहा कि अगर 2014 के चुनावी
लाभ के लिए आजमगढ़ को बदनाम करने की कोशिश नहीं रुकी तो कांग्रेस के इस
राजनीतिक अपराध का मुहतोड़ जवाब दिया जाएगा।

द्वारा जारी-
शाहनवाज आलम, राजीव यादव
09415254919, 09452800752
प्रवक्ता रिहाई मंच
______________________________________________________________
Office - 110/60, Harinath Banerjee Street, Naya Gaaon East, Laatoosh
Road, Lucknow
Forum for the Release of Innocent Muslims imprisoned in the name of Terrorism
        Email- rihaimanchindia@gmail.com



: क्या दीदी ने टाटा मोटर्स को हरी झंडी दे दी?


क्या दीदी ने टाटा मोटर्स को हरी झंडी दे दी?

एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास​

सोमवार को शेयर बाजार की घंटी पड़ते ही अगर टाटा मोटर्स के भाव उछाला मारने लगे, तो ताज्जुब न मानियेगा। टाटा मोटर्स के लिए सबसे बड़ी खबर यह है कि बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और टाटा मोटर्स के संबंध सुधरने के संकेत मिलने लगे हैं। कोलकाता के युवाभारती ​​क्रीड़ांगन में वीसीआईएम की कार रैली का उद्गाटन किया दीदी ने।इस रैली का आयोजन तो राज्य सरकार और सीआईआई ने साझा तौर पर ​​किया,पर इस आयोजन का ज्यादातर खर्च ही नहीं उठाया टाटामोटर्स ने बल्कि बांग्लादेश, चीन और म्यांमार के अलावा पूर्वोत्तर भारत में ​​वाणिज्यिक दरवाजे खोलने के लिए सीआईआई की इसकार रैली में शामिल बीस कारों में से दस टाटा मोटर्स की हैं, जो दक्षिण एशिया के चार देशों से होकर गुजरेंगी।

दीदी के मिजाज जानने वाले इसे टाटा मोटर्स के लिए हरी झंडी मान रहे हैं।राजनीतिक जीवन में पलटी मारने के अनेक उदाहरणों को दखते हुए टाटा मोटर्स के बारे में उनकी राय बदलना कोई बहुत बड़ी अनहोनी भी नहीं है।

अभी कल ही मातृभाषा दिवस पर वामपंथी नेताओं से मुलाकात जिस चु्स्ती के साथ टाली उन्होंने और खुलेआम उनकी पार्टी जिस तरह विरोधियों के बहिष्कार का आह्वान करती है, इसे देखते हुए टाटा मोटर्स के इस कार्यक्रम को हरी झंडी देने का मतलब विवादित सिंगुर कारखाने के लिए सकारात्मक भी निकल सकता है।

गौरतलब है कि टाटा मोटर्स ने सिंगर की अधिग्रहित जमीन का कब्जा अभी नहीं छोड़ा है और राज्य सरकार से उसकी अदालती लड़ाई चल रही है।दूसरी ओर, नंदीग्राम लालगढ़ सिंगुर आंदोलन की नींव पर सत्ता में आनेवाली ममता बनर्जी के लिए सिंगुर के किसानों का सामना करना मुश्किल हो रहा है।

बहरहाल यह मसला सुलझ गया तो दीदी और बंगाल दोनों के लिए सुखद परिवर्तन होगा। टाटा मोटर्स को और चाहिए भी क्या? एअर एशिया से गठजोड़ के बाद विमानन क्षेत्र में प्रवेश की तैयारी कर रहे टाटा समूह के लिए सिंगुर प्रकरण एक लगातार रिसता हुआ नासुर है, इसमें दो राय नहीं है।वैसे भी टाटा मोटर्स को भारतीय परिचालन में लागत दबाव और जेएलआर में कम मार्जिन वाले उत्पादों की अधिक बिक्री के साथ साथ लागत वृद्घि की वजह से मुनाफे में बड़ी गिरावट का सामना करना पड़ा है। भविष्य में भी कंपनी के भारतीय परिचालन के परिदृश्य में सुधार की संभावना नहीं दिख रही है, हालांकि जेएलआर के लिए उत्पादों की मांग मजबूत बनी हुई है और इसे नए लॉन्च से मदद मिलेगी।हालांकि जेएलआर के लिए मार्जिन में जल्द सुधार की उम्मीद नहीं की जा सकती, क्योंकि कम मार्जिन वाले उत्पादों की बिक्री अनुपात ऊंचे स्तरों पर बने रहने का अनुमान है। कुल मिला कर जेएलआर के प्रदर्शन का असर इस शेयर पर बना रह सकता है। बिक्री बढ़़ाए जाने के लिए कंपनी की क्षमता सीमित है जिसे देखते हुए यह शेयर सीमित दायरे में बना रह सकता है। हालांकि 2013 के अंत तक चीनी इकाई के शुरू हो जाने के बाद या कंपनी द्वारा मौजूदा क्षमता में सुधार लाए जाने पर मांग को पूरा किए जाने की संभावना सीमित ही है।

गौरतलब है कि उद्योगपति और निवेशकों की आस्था पाने में अभी मां माटी मानुष की सरकार नाकाम ही है। अनास्ता की मुख्य वजह सिंगुर और नंदीग्राम के उदाहरण और राज्य सरकार की भूमि और उद्योग नीति है। राज्य सरकार गहरे आर्थिक संकट में फंसी हुई है और संकट के इस तिलिस्म में निकलने का रास्ता अमेरिकापलट अर्थशास्त्री वित्तमंत्री अमित मित्र को भी नहीं मालूम, जिनका सार्वजनिक दर्शन ईश्वर दर्शन से कम ​​कठिन नहीं है। उद्योगजगत बार बार मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से आग्रह करता रहा है कि टाटा मोटर्स के साथ सिंगुर विवाद को अदालत से ​​बाहर सुलझा लिया जाये। इस दिशा में यह कार रैली कोई बड़ी पहल साबित होगी कि नहीं ,यह तो वक्त ही बतायेगा।

सिंगुर भूमि अधिग्रहण मामले में सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए टाटा मोटर्स को नोटिस जारी किया है। बंगाल सरकार ने अपनी याचिका में कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसके अंतर्गत न्यायालय ने 400 एकड़ भूमि को फिर से अपने कब्जे में लेने के लिए तैयार सिंगूर भूमि अधिनियम को असंवैधानिक करार दिया था।

न्यायमूर्ति एचएल दत्तू व न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की खंडपीठ ने हालाकि कहा कि उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश के तहत सिंगूर भूमि पर राच्य सरकार का कब्जा पूर्ववत बना रहेगा।

इससे पहले कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगूर भूमि पुनर्वास व विकास अधिनियम-2011 को 22 जून को असंवैधानिक करार देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार को सर्वोच्च न्यायालय में अपील के लिए दो महीने का समय दिया था।

अपने फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा था कि बंगाल सरकार उसके इस फैसले को चुनौती दे सकती है और इस दौरान यह भूमि उसके कब्जे में ही रहेगी।

पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को बनर्जी सरकार को झटका देते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सिंगुर कानून को अवैध घोषित कर दिया। न्यायमूर्ति पिनाकी चंद्र घोष और न्यायमूर्ति मृणाल कांति चौधरी की दो सदस्यीय उच्च न्यायालय की पीठ ने एकल पीठ के फैसले को रद्द करते हुए कानून को असंवैधानिक करार दिया। 28 सितंबर, 2011 को कानून को वैध ठहराते हुए लागू करने पर दो महीने की रोक लगा दी थी ताकी दूसरे पक्ष (टाटा मोटर्स) को किसी उच्च अदालत में अपील करने का मौका मिल सके। 3 नवंबर, 2011 को उच्च न्यायालय की पीठ ने मामले के निस्तारण तक कानून को लागू किये जाने पर रोक लगा दी।
माइक्रोसेक कैपिटल ने इस फैसले से जुड़े दस प्रमुख तथ्य जुटाए-
1. सरकार में रहते हुए वाम मोर्चा ने सिंगुर में टाटा मोटर्स को देश की सबसे सस्ती कार नैनो बनाने के लिए 997 एकड़ जमीन दी।
2. जमीन का अधिग्रहण 13,000 मालिकों से किया गया था।
3. इनमें से 2,000 लोगों ने अपनी 400 एकड़ जमीन के बदले मुआवजा लेने से मना कर दिया।
4. ममता बनर्जी ने किसानों को उनकी जमीन वापस दिलाने का वादा किया।
5. वामपंथी पार्टियों को हराकर मुख्यमंत्री बनने के बाद उन्होंने 14 जून, 2011 को सिंगुर भूमि पुर्नसुधार और विकास कानून, 2011 पारित कराया। जिसके जरिये सरकार को विवादित भूमि वापस लेने का अधिकार मिल गया। टाटा मोटर्स को बाकी बचे 600 एकड़ जमीन पर ही फैक्ट्री बनाने के लिए कहा गया।
6. टाटा मोटर्स ने कलकत्ता उच्च न्यायालय का रुख किया। कानून पारित होने के एक हफ्ते बाद ही कंपनी ने कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी।
7. अपने फैसला सुनाते हुए कलकत्ता उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति मुखर्जी ने कानून को वैध करार दिया। टाटा मोटर्स ने एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी। इसके बाद मामले को खंडपीठ को सौंपा गया लेकिन इसके पास भी ऐसे मामले में सुनवाई करने का अधिकार नहीं था।
8. इसके बाद मामले को मौजूदा पीठ को सौंपा गया।
9. टाटा मोटर्स का तर्क था कि कंपनी के लिए 600 एकड़ में फैक्ट्री का निर्माण कर पाना संभव नहीं और अक्टूबर 2008 में नैनो परियोजना को गुजरात स्थानांतरित कर दिया।
10. टाटा मोटर्स का दावा है कि सिंगुर में कंपनी ने 1,500 करोड़ रुपये का निवेश किया और हर्जाने की मांग की है।

गौरतलब है कि  टाटा मोटर्स भारत में व्यावसायिक वाहन बनाने वाली सबसे बड़ी कंपनी है। इसका पुराना नाम टेल्को (टाटा इंजिनीयरिंग ऐंड लोकोमोटिव कंपनी लिमिटेड) था। यह टाटा समूह की प्रमुख कंपनियों मे से एक है। इसकी उत्पादन इकाइयाँ भारत में जमशेदपुर (झारखंड), पुणे (महाराष्ट्र) और लखनऊ (उत्तर प्रदेश) सहित अन्य कई देशों में हैं। जैसा कि नाम से स्पष्ट है टाटा घराने द्वा्रा इस कारखाने की शुरुआत अभियांत्रिकी और रेल इंजन के लिये हुआ था। किन्तु अब यह कम्पनी मुख्य रूप से भारी एवं हल्के वाहनों का निर्माण करती है। इसने ब्रिटेन के प्रसिद्ध ब्रांडों जगुआर और लैंड रोवर को खरीद लिया है। फरवरी 2010 में राल्फ स्पेथ को जगुआर-लैंड रोवर का नया मुख्य कार्यरकारी अधिकारी यानी सीईओ बनाया गया है।

दिसंबर 2012 की तिमाही के लिए 2,770 करोड़ रुपये के संभावित शुद्घ लाभ के विपरीत कंपनी ने 1,627.50 करोड़ रुपये का मुनाफा दर्ज किया है जो सालाना आधार पर 52 फीसदी गिरावट है और तीन वर्षों में सबसे कम है। समेकित स्तर पर भी परिचालन से आय दिसंबर में 46,089 करोड़ रुपये पर रही जिससे सालाना आधार पर महज 1.8 फीसदी की वृद्घि का पता चलता है। मुनाफे में गिरावट की मुख्य वजह परिचालन मुनाफा मार्जिन में बड़ी गिरावट आना है। कंपनी के घरेलू और जेएलआर व्यवसाय दोनों के परिचालन मुनाफा मार्जिन में गिरावट दर्ज की गई है। इसकी वजह से समेकित परिचालन मुनाफा मार्जिन 16 फीसदी से घट कर सालाना आधार पर 13.3 फीसदी रह गया। घरेलू व्यवसाय का मार्जिन दिसंबर 2011 के 6.7 फीसदी से घट कर हाल में समाप्त हुई तिमाही में 2.2 फीसदी रह गया जबकि जेएलआर का मार्जिन 17 फीसदी से घट कर 14 फीसदी रह गया।
कम प्राप्तियों वाले मॉडलों और इवोक एवं फ्रीलैंडर के वैरिएंट की अधिक बिक्री की वजह से जेएलआर का मार्जिन घटा है। घरेलू मार्जिन में बढ़ती लागत, ऊंचे डिस्काउंट और मध्यम एवं भारी वाणिज्यिक वाहन (एमऐंडएचसीवी) खंड के कमजोर प्रदर्शन की वजह से गिरा है। घरेलू बाजार में उसके हलके वाणिज्यिक वाहन खंड का प्रदर्शन मजबूत रहा है। खासतौर पर उसे अपने मॉडल 'एसीईÓ की वजह से मजबूती मिली है। उसके यात्री वाहन (पीवी) खंड की बिक्री में 36 फीसदी तक की गिरावट आई जबकि निर्यात में सालाना आधार पर 18 फीसदी की कमी आई। इसलिए एकल आधार पर टाटा मोटर्स ने दिसंबर 2008 के बाद से पहली बार 458 करोड़ रुपये का नुकसान दर्ज किया है।

घरेलू बाजार में कड़ी प्रतिस्पर्धा बरकरार रहने का अनुमान है और एमऐंडएचसीवी सेगमेंट पर इससे दबाव महसूस किया जा रहा है। अधिक परिचालन लागत और कमजोर आर्थिक परिदृश्य की वजह से कम माल की उपलब्धता से घरेलू बिक्री पर दबाव पडऩे की आशंका है। टाटा मोटर्स के प्रबंधन ने यह स्वीकार किया है कि विपणन खर्च आने वाले महीनों में बढऩे का अनुमान है। इसे देखते हुए भविष्य में घरेलू व्यवसाय में मजबूती की कम ही उम्मीद की जा सकती है।

वहीं जेएलआर के लिए कंपनी अपने चीनी परिचालन पर अधिक निर्भर है। दिसंबर 2012 में उसके व्यवसाय में चीन का योगदान 17 फीसदी से बढ़ कर 21 फीसदी पर रहा। उसके ब्रिटिश व्यवसाय ने 11 फीसदी की बढ़त दर्ज की, यूरोप ने 7 फीसदी जबकि अमेरिकी व्यवसाय में 6 फीसदी की कमी दर्ज की गई।

हालांकि जेएलआर से शुद्घ लाभ 39.3 करोड़ पौंड से घट कर 29.6 करोड़ पौंड रह गया जो सालाना आधार पर 25 फीसदी की गिरावट है। यह गिरावट उत्पाद और वैरिएंट के समावेश, ऊंची विपणन लागत और प्रतिकूल मौद्रिक उतार-चढ़ाव की वजह से भी दर्ज की गई है। इन बाधाओं को देखते हुए चालू तिमाही में मार्जिन में सुधार आने की संभावना नहीं है। संक्षेप में कहें तो फिलहाल कंपनी द्वारा किसी सकारात्मक बदलाव की उम्मीद नहीं है।

टाटा मोटर्स के जमशेदपुर संयंत्र ने  एक मील का पत्थर हासिल किया। कंपनी ने अपने इस विश्वस्तरीय संयंत्र से 20 लाखवें ट्रक का उत्पादन किया। इस संयंत्र में टाटा मोटर्स के मध्यम से लेकर भारी वाणिज्यिक वाहनों की संपूर्ण श्रृंखला का उत्पादन किया जाता है, जिसमें टाटा प्राइमा भी शामिल है। इस अवसर पर टाटा मोटर्स के प्रबंध निदेशक कार्ल स्लिम ने कहा कि हमें गर्व है कि जिस संयंत्र से कंपनी ने परिचालन की शुरुआत की थी, उस संयंत्र से आज 20 लाखवें ट्रक का उत्पादन हुआ है। इस संयंत्र में मल्टी-ऐक्सल ट्रक्स, ट्रैक्टर-ट्रेलर्स, टिपर्स, मिक्सर्स और स्पेशल ऐप्लिकेशन व्हीकल समेत 200 ट्रक संस्करणों का विनिर्माण होता है

भारत के अलावा इन वाहनों की बिऋी दक्षिण अफ्रीका, रूस, म्यांमार, दक्षेस क्षेत्र और पश्चिमी एशिया में होती है। जमशेदपुर संयंत्र टाटा मोटर्स का सबसे पहला संयंत्र है जिसकी स्थापना 1945 में भाप से चलने वाले इंजन बनाने के लिए की गई थी। इसके बाद कंपनी ने 1954 में वाणिज्यिक वाहनों के कारोबार में कदम रखा। कंपनी का पिछले 10 साल में बडे पैमाने पर आधुनिकीकरण हुआ है। कार्ल स्लिम ने बताया कि इस संयंत्र में एक विश्वस्तरीय डिजाइन और इंजीनियरिंग सेंटर है। टाटा मोटर्स के मौजूदा और भविष्य की ट्रक श्रृंखलाओं की संकल्पना और एकीकरण की व्हीकल असेंबली, शैसे फेब्रिकेशन और कस्टमाइजेशन इकाई समेत व्यापक सुविधाएं उपलब्ध हैं। टेस्टिंग इकाई में इंजन के प्रदर्शन का परीक्षण, इंडोर और आउटडोर वाहन परीक्षण, एनवीएच (शोर, कंपन और ) परीक्षण, टिकाऊपन परीक्षण और प्रदर्शन से जुडे अन्य पहलुओं का परीक्षण किया जाता है। इस आधुनिक इंजन असेंबली संयंत्र मंण टाटा 697/497 नैचुरली एस्पाइरेटेड और टर्बो चार्ज्ड इंजन का विनिर्माण किया जाता है और इसकी क्षमता प्रतिदिन 200 इंजन आपूर्ति करने की है। इस ट्रक संयंत्र की प्रमुख असेंबली लाइन हर 5 मिनट में एक ट्रक का विनिर्माण करती है। दूसरी लाइन खासतौर पर रक्षा क्षेत्र की जरूरतों के अनुसार विशेष उद्देश्य वाहनों का विनिर्माण करती है।

वाणिज्यिक और यात्री वाहनों की मांग सुस्त होने के कारण देश की सबसे बड़ी वाहन कंपनी टाटा मोटर्स अपनी रणनीतियों की समीक्षा कर सकती है। घरेलू कारोबार में संघर्ष कर रही है यह कंपनी अपनी विस्तार योजनाओं में कटौती करते हुए विनिर्माण और नए उत्पादों पर ध्यान केंद्रित करना चाहती है।

टाटा मोटर्स ने पिछली तिमाही में एकल आधार पर दिसंबर, 2008 के बाद पहली बार शुद्ध घाटा किया है। ट्रकों और यात्री कारों की मांग में सुस्ती और बाजार में तगड़ी प्रतिस्पर्धा के कारण कंपनी के मुनाफे पर असर पड़ा। टाटा मोटर्स के कार्यकारी निदेशक रवींद्र पिशरोदी ने कहा, '3-4 साल पहले हमने अपने लिए दृष्टिï तैयार किया था और उस समय हमें उम्मीद थी कि अगले 4-5 वर्षों में हमारा कारोबार दोगुना हो सकता है। अभी तक हम उसी दृष्टिïपत्र पर चल रहे हैं लेकिन अब इसमें बदलाव की जरूरत महसूस की जा रही है। संयंत्र, बुनियादी ढांचा और कर्मचारी सभी मामले में हमने काफी विस्तार कर लिया है और अब इस पर रोक लगाने की जरूरत है।Ó

बाजार में मांग सुस्त होने के कारण विशेषकर जमशेदपुर संयंत्र में उत्पादन में भी कटौती करनी पड़ी। जमशेदपुर संयंत्र कंपनी का सबसे पुराना संयंत्र है जहां मुख्य रूप से मझोले और भारी ट्रकों का उत्पादन किया जाता है। कंपनी को इस साल इस संयंत्र में 4 बार उत्पादन रोकना पड़ा क्योंकि अप्रैल से जनवरी की अवधि में कुल बिक्री में करीब 29 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। टाटा मोटर्स ट्रक बनाने वाली देश की सबसे बड़ी कंपनी है और इसकी बाजार हिस्सेदारी करीब 62 फीसदी है। देश के कुछ भागों में लौह अयस्क की खनन गतिविधियां बंद होने के कारण आम आर्थिक गतिविधियों की रफ्तार सुस्त हो गई और महंगे कर्ज के कारण ट्रकों की बिक्री धीमी पड़ गई।

रक्षा क्षेत्र में टाटा समूह लगातार अपनी पैठ मजबूत कर रहा है।

समूह की प्रमुख कंपनी टाटा मोटर्स ने आज बारूदी सुरंग रोधी वाहन पेश करते हुए युद्ध के मैदान में काम आने वाले वाहनों के बाजार में कदम रख दिया। टाटा संस ने भी अपनी पैठ मजबूत करते हुए टाटा समूह ने भी युद्धक हेलीकॉप्टर तैयार करने के लिए इटली की रक्षा और वैमानिकी कंपनी फिनमेकैनिका की इकाई अगस्तावेस्टलैंड के साथ हाथ मिला लिए।

टाटा मोटर्स के भारतीय कारोबार के प्रबंध निदेशक पी एम तैलंग ने कहा, 'हम सभी तरह के रक्षा उपकरणों पर काम करना चाहते हैं। अपने पारंपरिक कारोबार को और मजबूत बनाते हुए हम खास तौर पर रक्षा क्षेत्र के लिए वाहन और उपकरण तैयार करेंगे।'

उन्होंने यह भी कहा कि कंपनी इसके लिए समय आने पर उचित साझेदारों का चयन करेगी और समूह की दूसरी कंपनियों की क्षमता का भी पूरा लाभ उठाएगी। टाटा मोटर्स 1958 से ही भारतीय रक्षा बलों और अर्द्धसैनिक बलों के लिए उत्पाद बना रही है। लेकिन उसने युद्ध के मैदान में काम आने वाले वाहन बनाना हाल ही में शुरू किया है।

उड़ेगा हेलीकॉप्टर

टाटा संस ने जिन ए डब्ल्यू 119 हेलीकॉप्टरों को असेंबल करने के लिए इतालवी कंपनी के साथ करार किया है, वैसे 190 हेलीकॉप्टरों की आपूर्ति के ठेके उसे पहले ही मिल चुके हैं। इनकी असेंबलिंग हैदराबाद में की जाएगी। दुनिया भर के खरीदारों के लिए हैदराबाद का संयंत्र ही केंद्र का काम करेगा।

टाटा संस के चेयरमैन रतन टाटा ने समझौते पर हस्ताक्षर करते हुए उम्मीद जताई कि यह साझा उपक्रम अभी और परवान चढ़ेगा। पहले चरण में हैदराबाद संयंत्र में साल में 30 हेलीकॉप्टर तैयार किए जाएंगे।

फिनमेकैनिका ने कहा कि इस साझे उपक्रम के तहत बनाए जाने वाले ये हेलीकॉप्टर निगरानी करने में खासे काम आएंगे, जिस श्रेणी के लिए भारतीय सेना जल्द ही ठेका देने वाली है। उसने बताया कि ऐसे 197 हेलीकॉप्टर भारत में खरीदे जाने हैं।


Thursday, 21 February 2013

Dalit girl gang-raped in Uttarakhand


Dalit girl gang-raped in Uttarakhand

A 14-year-old dalit girl was allegedly gang-raped by three youths in Haridwar district, about 50 kms from here, police said today.
The girl was alone at her Bhukkanpur village residence when three youths, Ankit Deshraj (17), Deepak (18) and Ankit Naresh (17) from the same village went to her place along with one of her acquaintance and raped the minor, Pathri SHO said.
"Medical examination of the victim confirmed rape and all three accused have been arrested and sent to jail today," he said.
The incident happened a week ago when the girl's mother had gone to attend a wedding leaving her alone at home, he said adding, the matter came to light when the victim's mother lodged a complaint with the police yesterday.
The girl's acquaintance Ravi, who was used by the accused to gain entry into her house, is still at large, he said.

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Gauthama Prabhu Nagappan

Foundation of His Sacred Majesty (FHSM),
3 A, Ground Floor, Vijay Housing, 
Malliga Nagar, Vel's College Road,
Zamin Pallavaram, Chennai - 600 117
Ph: +91-44-22660747
      
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Dalit activist shot dead


Dalit activist shot dead

Dalit rights activist and Bahujan Samaj Party member Chandrakant Jaywant Gaikwad (30) was shot dead by assailants in front of a dhaba in Jamb village of Indapur taluka in Pune district on Tuesday morning.
A case was registered against Satpal Mahadev Rupnavar (22) of Jamb, a "notorious" goon and historysheeter, his aide Santosh alias Lubya Chandalkar and three others at the Walchandnagar police station on the complaint of Dada Shivaji Jadhav (32) of Jamb. Jadhav was with Gaikwad when the latter was shot.
Police suspect the assailants wanted to eliminate Jadhav, with whom Rupnavar had a dispute, but he managed to flee.
Inspector Dashrath Patil said Gaikwad, a resident of Jamb, had come to Mahalaxmi dhaba to meet Jadhav. Around 10 am, the assailants reached there in a jeep and an argument ensued between Jadhav and Rupnavar. As Jadhav managed to escape, Rupnavar allegedly fired at Gaikwad from his revolver and fled.
The incident has created panic in several parts of Indapur. Nearly 300 policemen have been deployed in Jamb to maintain law and order. Senior police officers, including DySP Manoj Lohiya, visited the crime scene. A hunt is on to nab Rupnavar and his aides.
Meanwhile, Dalit activists held agitation and burnt tyres to protest the murder. Gaikwad was known to be an office-bearer of the Rashtriya Dalit Nyay Hakka Samiti, Indapur Taluka.

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Gauthama Prabhu Nagappan

Foundation of His Sacred Majesty (FHSM),
3 A, Ground Floor, Vijay Housing, 
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Zamin Pallavaram, Chennai - 600 117
Ph: +91-44-22660747
      
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AMAR BHAI ER ROKTE RANGANO EKUSHE FEBRUARY AMI KI BHULITE PARI. আমার ভাইয়ের রক্তে রাঙ্গানো একুশে ফেব্রুয়ারি আমি কি ভুলিতে পারি?



AMAR BHAI ER ROKTE RANGANO EKUSHE FEBRUARY 

AMI KI BHULITE PARI.



আমার ভাইয়ের রক্তে রাঙ্গানো একুশে ফেব্রুয়ারি আমি কি 

ভুলিতে পারি?

Presidential immunity should not be hinderance in investigation into westland VVIP helicopter deal. UPA government played the trump card to dismiss the case naming the president of India in the factsheet to misuse presidential immunity! Only one fourth of the strength of any house in the parliament is enough for an impeachment notice. It would strip naked the fact. Pranab Mukherjee has been the principal manager to push for reforms and he has been manipulating mandate to help the minority government in floor adjustment for much needed legislation. This is gross violation of not only Indian constitution which provides for majority rule and it is violation of democratic norms. The president is practicing religious nationality in public which is also violation of Indian constitution.The ruling hegemony is quite habitual to deal with such scams, it is proved again and again. Mind you, no Bengali media has published or aired anything about the deal factsheet. What does it mean? It is the exact phenomenon of overwhelming mind control! written by :Palash Biswas

अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस 21 फरवरी को मनाया जाता है। 17 नवंबर1999 को यूनेस्को ने इसे स्वीकृति दी। इस दिवस को मनाने का उद्देश्य है कि विश्व में भाषाई एवं सांस्कृतिक विविधता और बहुभाषिता को बढ़ावा मिले।

इतिहास

यूनेस्को द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की घोषणा से बांग्लादेश के भाषा आन्दोलन दिवस को अन्तर्राष्ट्रीय स्वीकृति मिली, जो बांग्लादेश में सन 1952से मनाया जाता रहा है। बांग्लादेश में इस दिन एक राष्ट्रीय अवकाश होता है। 2008 को अन्तर्राष्ट्रीय भाषा वर्ष घोषित करते हुए, संयुक्त राष्ट्र आम सभा ने अन्तर्राष्ट्रीय मातृभाषा दिवस के महत्व को फिर महत्त्व दिया था। हमारे संविधान निर्माताओं की आकांक्षा थी कि स्वतंत्रता के बाद भारत का शासन अपनी भाषाओं में चले ताकि आम जनता शासन से जुड़ी रहे और समाज में एक सामंजस्य स्थापित हो और सबकी प्रगति हो सके। इसमें कोई शक नहीं किभारत हमारा देश प्रगति के पथ पर अग्रसर है। पर यह भी सच है कि इस प्रगति का लाभ देश की आम जनता तक पूरी तरह पहुंच नहीं पा रहा है। इसके कारणों की तरफ़ जब हम दृष्टि डालते हैं तो पाते हैं कि हम शासन को जनता तक उसकी भाषा में पहुंचाने में अभी तक क़ामयाब नहीं हुए हैं। यह एक प्रमुख कारण है। जब तक इस काम में तेज़ी नहीं आती तब तक किसी भी क्षेत्र में देश की बड़ी से बड़ी उपलब्धि और प्रगति का कोई मूल्य नहीं रह जाता।

Amar Bhai'er Rokte Rangano (tribute) 2012



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ভাষা / হিন্দোল ভট্টাচার্য 

এখনো আমার পায়ে রক্ত লেগে 
এখনো কুয়াশা 
আমরা তো ভালো আছি 
বেঁচেবর্তে চাবুকে সংসারে 
তবুও গলার কাছে কষ্ট আর 
হাঁসফাঁস করে উঠছি
বাহান্ন সালের ওই মিছিলেই দেখো আজ 
শহীদজননী 
দুহাজার তেরো সালে মোমবাতির আলো 
হাতে 
পথের নিশান 
এমন বুলেট হব যাতে আরও ফেটে পড়তে 
পারি 
এখনো
আমার পায়ে রক্ত লেগে 
এখনো আমার নাম 
শহীদ একুশ 
আমার সীমান্ত নেই তাই আজ 
শীতের চাদর গায়ে বসন্ত এসেছে।

সময়ের কাছে গভীরতা চাই
বলি---গাঢ় হও
নৈশব্দের গভীরতম অন্ধকারে
আলো জ্বালো তুমি...

আমার মহাজাগতিক ক্রমিক সংখ্যাগুলোতে
আগ্রহ বাড়ে মতিচ্ছন্নতার
মাথার ওপর স্বরমালা
সুদূরের গান করতে থাকে ময়রার মতো...

বুকের মধ্যে লক্ষকোটি বছর
ফিসফাস করতে করতে এগিয়ে যায়
পথের মধ্যে পথহীন কনসার্ট
সম্মতির ভঙ্গিমাখা চোখে বলতে থাকে এসো দীর্ঘতম উসখুশ...

জলপাত্রে চুমুক সাজানো
বাটিতে বিড়বিড় শব্দকিচিমিচি
চিন্তাশীল হাসিগুলো আজ বাড়ির জানলায়
ফুরফুরে আলোছায়ায় লুকোচুরি খেলতে যায়...

কর্মব্যস্ত অসুখের দোকানে
বিক্রি হোচ্ছে দ্যাখো জীবনদায়ী অ্যাপ্রন
মেরুন রঙের বিকেলটা স্বর্গলাভের আশায় এঁকে চলে
রামধনুর চাহনিতে মোড়া মহাকাশ...

পাড়ার ঝাড়ুদার চাঁদে ঝাড়ু দিতে গিয়ে আঁকে
কাঠের জানলা
অ্যাক জোড়া ঠোঁট
আর ঘুমহীন বিছানার জাল...

দরজায় ঝুলছে নিষেধের রঙ
পছন্দের বৃষ্টি
অ্যাকটার পর অ্যাকটা পাহাড় পেরুনো দিগন্ত
আর আলজিহ্ববার অপেক্ষার মতো বিকেলর সম্মোহন সুর...

আজ সমুদ্রকে আকাশ ভাবি
আকাশকে ঘুম
ঘুমকে চকলেট ভেবে মুখে দিই
জীবনের অবিমিশ্র দৌঁড়গুলো আমাকে টেনে নেয় তোমার দিকে...

ভাষা মায়ের মান রাখতে যারা গেল চলে
আমরা কি মনে রেখেছি ? আমরা কি গেছি ভুলে ?
আমাদের জীবন যাপন - আমাদের সুখ,
ভাষা শহীদ বেঁচে থাকুন- আগলে রাখি বুক ।
অনেক বছর চলে গেল - সময় নামের রথে ,
...রক্ত কথা লেখা আছে বাংলাদেশের পথে ।
শহীদ তোমায় জানাই সেলাম - করি অঙ্গীকার ।
বেঁচে থাকুক সব দেশে - মাতৃ ভাষা সবার।

একুশ একটি শব্দই শুধু নয়
একুশ হল দরজায় কড়া নাড়া
কড়া নেড়ে তোকে যাচ্ছে দিয়ে ডাক
বাংলাকে তুই চিরদিন মনে রাখ ।

একুশ উনিশের ছাতিম ছায়ায়
মাতৃভাষা আসীন
চোখের মনিতে অক্ষর আঁকা
রক্তের কাছে ঋণ ......

‎"একুশের অর্ঘ��য!"

http://sobdermichilprobondho.blogspot.com/

"একুশের বাংলা বাঙালির একুশ!"

শ্রীশুভ্র*

সৌজন্যে শব্দের মিছিল ব্লগ!
"একুশের অর্ঘ��য!"    http://sobdermichilprobondho.blogspot.com/    "একুশের বাংলা বাঙালির একুশ!"  শ্রীশুভ্র*   সৌজন্যে শব্দের মিছিল ব্লগ!

'হে বঙ্গ ভাণ্ডারে তব বিবিধ রতন/ তা সবে অবোধ আমি অবহেলা করি/ পরধন লোভে মত্ত করিনু ভ্রমণ'---মধুসূদন দত্তের এই অমৃতবোধ আমাদের মাতৃভাষার তথা আমাদের আত্মপরিচয়ের সুর বেঁধে দেয়। আমরা অ্যাক পা-ও ভাষাবোধ ছাড়া চলতে পারি নে। যদিও বাঙালীর বড় অংশই বাংলা ভাষাকে ততটা আবশ্যক মনে করেন না। হয়তো সেই প্রয়োজন তাঁদের নেই। কিন্তু এ যে অ্যাক বৃহত্তর আ্ত্মিকসংকট, সেটা যিনি যখন অচিরেই বুঝতে পারেন বা পারবেন, ততক্ষণে লগ্ন পেরিয়ে যায় টাইমলাইন। নিজেকে 'ভূতের ডিম' বা 'কিছুনা গোছের' মনে হতেই পারে। মনে পড়তে পারে 'নিজ ভূমে পরবাসী' অ্যাক শোকগাঁথা। যাঁরা মাতৃভাষার জন্য লড়াই করে শহিদ হয়েছেন, তারা অস্তিত্ত্বের সংকটের বিরুদ্ধে লড়েছিলেন। তাদের শ্রদ্ধা জানিয়েই আমাদের কাজ শেষ হয়ে যায় না। তাই সকলের জন্য, সকলের মতই আমরা নিজের স্বরযন্ত্রকে স্বোচ্চার করতেই পারি। আজ আর কেউ বন্দুক নিয়ে তেড়ে আসছে না। কিন্তু আমার ভেতরের আত্মধ্বংসপ্রবণতাকামী বোকা কালিদাসকে অ্যাকবার বলতেই পারি---নিজের নাক কাট কেন, এস নিজেকে আর অ্যাকবার বাঁচার কথা বলি। বলি--' আমি আদতে আমার কথা বলি/ আমাদের/ আমরা আত্মসংগঠন থেকে গেঁয়ে উঠি নিজস্ব পরিসর আর পরিচয়গাঁথা...মাতৃভাষা দিবসে সকলকে অনেক অনেক শুভেচ্ছা ও ভালবাসা....

Nation Bangladesh paying homage to Language Movement martyrs

Dhaka, 21 February: The grateful nation Bangladesh has started paying rich tributes to the dauntless Bangalees who sacrificed their lives for their mother tongue in 1952.
As the clock struck one minute-past zero hour, Prime Minister Sheikh Hasina led the nation in paying homage to the Language Movement martyrs by placing wreaths at the altar of the Central Shaheed Minar.
After placing the wreaths, Sheikh Hasina stood there in solemn silence for a while as a mark of respect to the martyred language movement heroes who laid down their lives to protect Bangla on this day in 1952.
Later, Sheikh Hasina, also the president of the ruling Awami League, along with her cabinet and party colleagues placed wreaths on behalf of the ruling Awami League.
The Prime Minister then formally launched a new Bangla font 'Amar Barnamala' comprising Unicode from the Shaheed Minar.
On her arrival at the Shaheed Minar at around 11:58 pm, the Prime Minister was received by Vice Chancellor of Dhaka University Professor Dr AASM Arefin Siddique.
Speaker Adv Abdul Hamid and Deputy Speaker Shawkat Ali, main opposition BNP, led by its acting Secretary General Mirza Fakhrul Islam Alamgir, and Dhaka University Vice Chancellor Prof Dr AAMS Arefin Siddique also placed wreaths.
Different political parties and their front bodies, various socio-cultural organisations and people from all walks of life will place wreaths at the Shaheed Minar throughout the day singing 'Amar bhaiyer rokte rangano Ekushey February.
On 21 February, 1952, Pakistani police fired on peaceful protesters, who had taken to the streets in the capital demanding that Bangla be made one of the state languages of the then Pakistan. The police firing left many people, mostly students, including Salam, Barkat, Rafiq, Jabbar and Shafiur, killed.
The day is also being celebrated as the International Mother Language Day worldwide as per a UNESCO declaration on 17 November, 1999.
The day is a public holiday in Bangladesh.
On the eve of the historic day, President Zillur Rahman, Prime Minister Sheikh Hasina and Leader of the Opposition Khaleda Zia issued separate messages.
The President in his message said, "21 February is the great 'Shaheed Day' as well as 'International Mother Language Day'. I recall, with profound reverence, the unfading memories of the language martyrs namely Barkat, Rafiq, Salam, Jabbar, Shafique and many unknown others who made the supreme sacrifice on this day in 1952."
He prayed to the Almighty for the salvation of those departed souls.
The President said the great language movement is a historical and significant event in national history. "This movement not only achieved the demand of mother tongue but also revealed the sense of Bangalee nationalism and inspired tremendously to achieve independence."
Prime Minister Sheikh Hasina extended best wishes to the Bangla-speaking people at home and abroad and the people of all languages and cultures across the world on the occasion of the glorious Martyrs and International Mother Language Day.
"The greatest Ekushey is the symbol of grief, strength and glory in the life of every Bangalee. On this day in 1952, many valiant sons of the soil, including Rafiq, Shafique, Jabbar, Barkat, Shafiuddin and Salam, sacrificed their lives for protecting the dignity of the mother tongue," she said in her message.
Hasina said: "The greatest Ekushey is the symbol of our democratic values, Bangalee nationalism, spirit of liberation struggle and secularism. Let's take a fresh vow being imbued with the spirit of the great Ekhusey to work together for improving the lot of people sinking all differences."
In a message, main opposition leader Khaleda Zia said though the country has been liberated, the imperialist force is trying to establish dominance over language, literature, culture and economy of the country.
"If their blueprint is implemented, they'll make us dependent on others. So, the spirit of Ekushey will inspire us to resist all international oppressive force," she added.
Meanwhile, Dhaka Metropolitan Police has taken all-out security measures for smooth observance of Amar Ekushey and International Mother Language Day. (UNB)

শ্রদ্ধাঞ্জলি

ব্লগারের প্রোফাইল ছবি
লিখেছেনঃ নুরুন্নাহার শিরীন (তারিখঃ বুধবার, ২০/০২/২০১৩ - ২২:২৬)


শ্রদ্ধাঞ্জলি 
( আমার ভায়ের রক্তে রাঙানো একুশে ফেব্রুয়ারী-র চরণতলে উতসর্গিত )


এখানে আমার ভায়ের রক্তের ধারা ... 
এখানে আমার রক্তাক্ত বাংলা বর্ণমালা।। 
এখানে আমার জাতীয় পরিচয়ের পালা ... 
এখানে আমার অহংকারী অশ্রুধারা।। 

এখানে সুশান্ত পদচিহ্ন জ্বেলে ... 
এখানে সুতীব্র শিকড়ে ডানার গন্ধ মেলে ... 
এখানে সজল দু'দন্ড দাঁড়াও, গভীর বিনম্র শ্রদ্ধাঞ্জলি দাও ঢেলে।। 
এখানে সন্তপ্ত স্মৃতির সোপান ভরে যাক জাগ্রত চেতনাফুলে।। 

২১ ফেব্রুয়ারী ২০১৩





শহীদ জননী জাহানারা স্কয়ার (শাহবাগ প্রজন্ম চত্বর )

তরুন প্রজন্মের সমাবেশ আজ ১৭তম দিন অতিবাহিত করছে। তাঁরা সুনির্দিস্ট ০৬টি দাবী পেশ করেছে সরকারের কাছে, দেশের আপমর জনসাধারণও অভুতপুর্ব সাড়া দিয়েছে তরুন প্রজন্মের এই দাবীর প্রতি। শুধু সাড়া দেয়াই না, দেশের বিভিন্ন প্রান্ত থেকে দলে দলে এসে যোগ দিচ্ছেন এই সমাবেশে, একাত্মতা জানাচ্ছেন, তাঁদের ক্ষোভের কথা বলছেন,ফলে আন্দোলন রুপ পেয়েছে ভিন্ন মাত্রা, পেয়েছে সার্বজনীনতা। 
কিন্তু কথা হলো,কতদিন এই তরুনেরা রাজপথে থাকবে ! যদিও তাঁরা ইতিমধ্যে বলেছে যে, দাবী আদায় না হওয়া পর্যন্ত রাজপথ ছাড়বে না। বোঝা যায় এটি তাঁদের আবেগের, ক্ষোভের বহিঃপ্রকাশ ।কারন দীর্ঘ বছর যাবত তাঁরা আমাদের প্রধান রাজনৈতিক দল দু'টো কে দেখেছে যুদ্ধাপরাধীদের নিয়ে কি নোংরা রাজনীতি খেলাই না খেলেছে- খেলছে। 
আশার কথা বর্তমানে মুক্তিযুদ্ধে নেতৃত্ব দানকারী দলই সরকারে আছে। মাননীয় প্রধানমন্ত্রী মহান সংসদে দাঁড়িয়ে তরুন প্রজন্মের এই দাবীর প্রতি পুর্ন সংহতি ব্যক্ত করেছেন এবং দাবীর প্রতি সম্মান দেখিয়ে ইতিমধ্য আন্তর্জাতিক ট্রাইব্যুনাল আইনের একটি ধারার সংশোধনী এনে সেটি আইনেও পরিণত করেছেন। 
এখন কথা হলো তরুণদের এইভাবে দিনের পর দিন রাজপথ আগলে রেখে দাবী আদায় করা গণতান্ত্রিক সরকারের জন্য কতটা সম্মানের। দেশে এবং আন্তর্জাতিক মহলে কিন্তু সমালোচনা শুরু হয়েছে। তাই সরকারের উচিৎ হবে তরুণদের ডাকা আজকের মহাসমাবেশে স্বয়ং সরকার প্রধান বা তাঁর প্রতিনিধি এসে দু'চার কথায় একটি ঘোষণা দেয়া যাতে তরুণরা আশ্বস্ত হয়ে ঘরে ফিরে যেতে পারে। 
ঘোষণাটি এরকম হতে পারে; " তরুণ প্রজন্মের এই সময়োচিত গণজাগরণ সরকারকে অভিভূত করেছে, অনুপ্রাণিত করেছে, আশান্বিত করেছে। ইতিমধ্য তোমাদের উত্থাপিত প্রধান দাবীটির জন্য আমরা তাৎক্ষনিক পদক্ষেপ নিয়েছি তা তোমরা দেখেছো। আজ এই মহাসমাবেশে সরকার এই বলে তোমাদের আশ্বস্ত করতে চায় যে, তোমাদের ৬দফা দাবী আজ গণদাবীতে পরিণত হয়েছে, সরকারও ৬দফার প্রতি পুর্ন সম্মান দেখাতে চায়। তোমাদের যৌক্তিক এই দাবী সমুহের বাস্তবায়নের জন্য আমাদের নীতিগত ও অগ্রাধিকার ভিত্তিক পদক্ষেপ থাকবে। তোমরা নিশ্চিন্ত মনে ঘরে ফিরে যাও ।"

গণজাগরণের নেতৃত্বদানকারী তরুণদের এবং তাঁদের পরিবারকে নিরাপত্তা দেয়ার দায়িত্ব সরকারকেই নিতে হবে।
শহীদ জননী জাহানারা স্কয়ার (শাহবাগ প্রজন্ম চত্বর )  তরুন প্রজন্মের সমাবেশ আজ ১৭তম দিন অতিবাহিত করছে। তাঁরা সুনির্দিস্ট ০৬টি দাবী পেশ করেছে সরকারের কাছে, দেশের আপমর জনসাধারণও অভুতপুর্ব সাড়া দিয়েছে তরুন প্রজন্মের এই দাবীর প্রতি। শুধু সাড়া দেয়াই না, দেশের বিভিন্ন প্রান্ত থেকে দলে দলে এসে যোগ দিচ্ছেন এই সমাবেশে, একাত্মতা জানাচ্ছেন, তাঁদের ক্ষোভের কথা বলছেন,ফলে আন্দোলন রুপ পেয়েছে ভিন্ন মাত্রা, পেয়েছে   সার্বজনীনতা।  কিন্তু কথা হলো,কতদিন এই তরুনেরা রাজপথে থাকবে ! যদিও তাঁরা ইতিমধ্যে বলেছে যে, দাবী আদায় না হওয়া পর্যন্ত রাজপথ ছাড়বে না। বোঝা যায় এটি তাঁদের আবেগের, ক্ষোভের বহিঃপ্রকাশ ।কারন দীর্ঘ বছর যাবত তাঁরা আমাদের প্রধান রাজনৈতিক দল দু'টো কে দেখেছে যুদ্ধাপরাধীদের নিয়ে কি নোংরা রাজনীতি খেলাই না খেলেছে- খেলছে।  আশার কথা বর্তমানে মুক্তিযুদ্ধে নেতৃত্ব দানকারী দলই সরকারে আছে। মাননীয় প্রধানমন্ত্রী মহান সংসদে দাঁড়িয়ে তরুন প্রজন্মের এই দাবীর প্রতি পুর্ন সংহতি ব্যক্ত করেছেন এবং দাবীর প্রতি সম্মান দেখিয়ে ইতিমধ্য আন্তর্জাতিক ট্রাইব্যুনাল আইনের একটি ধারার সংশোধনী এনে সেটি আইনেও পরিণত করেছেন।  এখন কথা হলো তরুণদের এইভাবে দিনের পর দিন রাজপথ আগলে রেখে দাবী আদায় করা গণতান্ত্রিক সরকারের জন্য কতটা সম্মানের। দেশে এবং আন্তর্জাতিক মহলে কিন্তু সমালোচনা শুরু হয়েছে। তাই সরকারের উচিৎ হবে তরুণদের ডাকা আজকের মহাসমাবেশে স্বয়ং সরকার প্রধান বা তাঁর প্রতিনিধি এসে দু'চার কথায় একটি ঘোষণা দেয়া যাতে তরুণরা আশ্বস্ত হয়ে ঘরে ফিরে যেতে পারে।  ঘোষণাটি এরকম হতে পারে; " তরুণ প্রজন্মের এই সময়োচিত গণজাগরণ সরকারকে অভিভূত করেছে, অনুপ্রাণিত করেছে, আশান্বিত করেছে। ইতিমধ্য তোমাদের উত্থাপিত প্রধান দাবীটির জন্য আমরা তাৎক্ষনিক পদক্ষেপ নিয়েছি তা তোমরা দেখেছো। আজ এই মহাসমাবেশে সরকার এই বলে তোমাদের আশ্বস্ত করতে চায় যে, তোমাদের ৬দফা দাবী আজ গণদাবীতে পরিণত হয়েছে, সরকারও ৬দফার প্রতি পুর্ন সম্মান দেখাতে চায়।   তোমাদের যৌক্তিক এই দাবী সমুহের বাস্তবায়নের জন্য আমাদের নীতিগত ও অগ্রাধিকার ভিত্তিক পদক্ষেপ থাকবে। তোমরা নিশ্চিন্ত মনে ঘরে ফিরে যাও ।"  গণজাগরণের নেতৃত্বদানকারী তরুণদের এবং তাঁদের পরিবারকে নিরাপত্তা দেয়ার দায়িত্ব সরকারকেই নিতে হবে।
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